CURRENT AFFAIRS SET – BIHAR ECONOMIC SURVEY : CURRENT AFFAIRS SET – 4 बिहार आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22

CURRENT AFFAIRS SET BIHAR : ECONOMIC SURVEY CURRENT AFFAIRS SET – 4 बिहार आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22


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25 फरवरी, 2022 को उप मुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में आर्थिक सर्वेक्षण पेश करने के बाद विधान परिषद एनेक्सी में प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी दी।
⇒ वितमंत्री के अनुसार, कृषि एवं सहायक क्षेत्रों में वृद्धि के कारण राज्य का आर्थिक विकास हुआ है। गत पांच वर्षों में (2016-17 से 2020-21 तक ) बिहार में प्राथमिक क्षेत्र 2.3 फीसदी, द्वितीयक क्षेत्र 4.8 फीसदी और तृतीयक क्षेत्र सर्वाधिक 8.5 फीसदी वार्षिक दर से बढ़ा।
⇒ वर्ष 2020-21 में राज्य सरकार का कुल व्यय विगत वर्ष की अपेक्षा 13.4 फीसदी बढ़कर 1,65,696 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। वर्ष 2019-20 में 1,46,097 करोड़ रुपये व्यय हुआ था। इनमें से 26,203 करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय था और 1,39,493 करोड़ रुपये राजस्व व्यय था। वर्ष 2020-21 में सामान्य सेवाओं, सामाजिक सेवाओं और आर्थिक सेवाओं पर राज्य सरकार का व्यय पिछले वर्ष से क्रमशः 11. 1 फीसदी, 10.4 फीसदी और 10.8 फीसदी बढ़ा है।
⇒ बिहार के 2021-22 के आर्थिक सर्वेक्षण में बिहार के प्रति व्यक्ति आय को अगर पैमाना माना जाए तो पटना जिले में रहने वाले लोग प्रदेश में सबसे खुशहाल हैं। यहां के लोगों की प्रति व्यक्ति आय राज्य में सबसे ज्यादा एक लाख 31 हजार 64 रुपए हैं। इस मामले में शिवहर सबसे नीचे है, जहां के लोगों की सालाना औसत आय 19 हजार 592 रुपए है।

सर्वाधिक आय वाले शीर्ष पांच राज्य –

जिला -, आय

1. पटना – 131,064 रुपए
2. बेगूसराय – 51,441 रुपए
3. मुंगेर – 44,321 रुपए
4. भागलपुर – 41,752 रुपए
5. रोहतास – 35,779 रुपए

न्यूनतम आय वाले शीर्ष पांच राज्य –

जिला -, आय

1. शिवहर – 19,592 रुपए
2. अररिया – 20,613 रुपए
3. सीतामढ़ी – 22,119 रुपए
4. पूर्वी चंपारण – 22,306 रुपए
5. मधुबनी – 22,636 रुपए

पटना और मुजफ्फरपुर पेट्रोल खपत में आगे

⇒ आजकल पेट्रोल भी समृद्धि आंकने का तरीका बन गया है। इस हिसाब से दो सबसे संपन्न जिले पटना और मुजफ्फरपुर हैं। वहीं दो सबसे पिछड़े जिले बांका और शिवहर हैं । लघु बचत के पैमाने पर प्रदेश में दो सबसे समृद्ध जिले पटना और सारण हैं। सबसे पिछड़ा अररिया है।
⇒ बिहार आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट – 2021-22 के अनुसार वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान बिहार में प्रतिव्यक्ति आय 50,555 रुपये हो गई है। वर्ष 2019-20 के दौरान राज्य में प्रतिव्यक्ति आय 49 272 रुपये थी। इस प्रकार, एक वर्ष में कुल 1183 रुपये प्रतिव्यक्ति आय में बढ़ोतरी हुई।
⇒ सर्वेक्षण के अनुसार वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान राष्ट्रीयस्तर पर प्रतिव्यक्ति आय 86.659 रुपये रही।

नोट: इथनॉल उत्पादन के लिए 151 फैक्ट्रियां लगेगी।

बिहार का साख-जमा अनुपात झारखंड से अधिक

⇒ बिहार में पहली बार बैंकों का साख-जमा अनुपात (सीडीआर) 50 फीसदी के पार हो गया। वित्तीय वर्ष 2021-22 के तृतीय तिमाही की 31 दिसंबर, 2021 तक की रिपोर्ट के अनुसार बिहार का सीडीआर 50.1 फीसदी हो गया।
⇒ बिहार में सीडीआर 2019-20 के 36.1 फीसदी से बढ़कर 2020-21 में 41.2 फीसदी हो गया था, जबकि संपूर्ण भारत के स्तर पर यह 76.5 फीसदी से घटकर 71.7 फीसदी रह गया था। इस दौरान एनपीए में भी कमी आई है।
⇒ बिहार में वर्ष 2020-21 के दौरान बैंकों की 270 नई शाखाएं खोली गई । सर्वाधिक 115 शाखाएं भारतीय स्टेट बैंक ने खोलीं, जबकि 92 बैंक शाखाएं निजी बैंकों व 52 शाखाएं अन्य राष्ट्रीयकृत बैंकों की खोली गई।
⇒ बिहार का साख-जमा अनुपात झारखंड (39.67% ) से अधिक रहा, लेकिन उत्तर प्रदेश से 2 फीसदी कम रहा ।

अन्य राज्यों का साख-जमा अनुपात (31 दिसंबर, 2021 तक

1. आंध्र प्रदेश – 90 फीसदी
2. उत्तर प्रदेश – 52 फीसदी
3. झारखंड – 39.67 फीसदी

बिहार में विकास दर राष्ट्रीय औसत से बेहतर

⇒ बिहार में कोरोना काल के दौरान विकास दर राष्ट्रीय औसत से बेहतर रही। वित्तीय वर्ष 2020-21 में जहां राष्ट्रीय स्तर पर सकल घरेलू
उत्पाद घटकर 7.5% हो गई। वहीं, बिहार में अर्थव्यवस्था की विकास दर 2.5 फीसदी रही ।
⇒ वर्ष 2020-21 में राज्य सरकार का कुल व्यय विगत वर्ष की अपेक्षा 13.4 फीसदी बढ़कर 1,65,696 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। वर्ष 2019-20 में 1,46,097 करोड़ रुपये व्यय हुआ था। इनमें से 26,203 करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय था और 1,39,493 करोड़ रुपये राजस्व व्यय था।
⇒ वर्ष 2020-21 में सामान्य सेवाओं, सामाजिक सेवाओं और आर्थिक सेवाओं पर राज्य सरकार का व्यय पिछले वर्ष से क्रमशः 11.1 फीसदी, 10.4 फीसदी और 10.8 फीसदी बढ़ा।
⇒ वर्ष 2020-21 में राजस्व व्यय 1 28, 168 करोड़ रुपये और पूंजीगत व्यय 36,735 करोड़ रुपये था। वहीं, 2020-21 में राज्य सरकार का अपने कर और करेत्तर स्रोतों से राजस्व 2019-20 के 33,858 करोड़ रुपये से बढ़कर 36,543 करोड़ रुपये हो गया ।

कोरोना काल में ( – माइनस में ) विकास दर वाले राज्य

1. आंध्र प्रदेश ( – ) 2.58 फीसदी
2. कर्नाटक ( – ) 2.62 फीसदी
3. दिल्ली ( – ) 5.68 फीसदी
4. उत्तर प्रदेश ( – ) 4.75 फीसदी
5. झारखण्ड ( – ) 4.75 फीसदी

अर्थव्यवस्था की जीविका बनीं दीदिया

⇒ गांवों की आर्थिक वृद्धि में जीविका दीदियां बड़ी भूमिका निभाती रही हैं। अपने कारोबार के लिए अबतक राज्य में 12 लाख 72 हजार जीविका समूहों द्वारा बैंकों से 16,537 हजार करोड़ का लेन-देन किया गया। रिपोर्ट बताती है कि जीविका के अलावा, मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना, ग्रामीण तथा ग्राम पंचायतों को भेजी जाने वाली राशि का गांवों में आर्थिक गतिविधि बढ़ाने में बड़ा योगदान है।

दूरसंचार एवं रेलवे में पिछड़ा बिहार

⇒ दूरसंचार घनत्व में बिहार की स्थिति ठीक नहीं है। प्रति 100 लोगों पर टेलीफोन कनेक्शन 53.69 फीसदी है। जबकि राष्ट्रीय औसत 86. 89 फीसदी की है। सर्वाधिक दूरसंचार घनत्व दिल्ली का 270 है। इसके बाद हिमाचल में 141.68 तो केरल में 127.42 कनेक्शन है। ⇒ एक दशक में रेलवे की वार्षिक वृद्धि दर 5 फीसदी पर स्थिर है। देश में बिहार के रेल नेटवर्क की भागीदारी 5.6 फीसदी ही है। 15 वर्षों में मात्र 416 किमी ही रेल नेटवर्क बढ़े। इसमें बिहार देश में 9वें पायदान पर है। CURRENT AFFAIRS SET BIHAR ECONOMIC SURVEY

दुग्ध उत्पादन में बढोतरी हुई

⇒ वित्तीय वर्ष 2021-22 में लॉकडाउन की अवधि में 2970.54 टन दुग्ध चूर्ण की आपूर्ति की गई। आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों को दुग्ध चूर्ण ‘पोषक सुधा’ के 200 ग्राम के पैकेट प्रत्येक बच्चे के लिए होम डिलीवरी के रूप में हर महीने उपलब्ध कराया गया। वित्तीय वर्ष 2008 से 2020-21 की तुलना करें तो दूध का उत्पादन 57.67 लाख टन से बढ़कर 115. 02 टन हो गया है। 2019 -21 तक 6116 खटाल ( डेयरी फार्म) पर 7172.06 लाख अनुदान दिया। 150 नए विपणन केंद्र की स्थापना की गई।
⇒ 2024-25 तक सात हजार गांवों को दुग्ध सहकारी समितियों से आच्छादित किया जाना है। इसमें 40 फीसद महिला दुग्ध समितियों का गठन किया जायेगा।

मुर्गी – मछली पालन में वृद्धि

⇒ राज्य सरकार मुर्गी मछली पालन को बढ़ावा देगी। चौर क्षेत्र का विकास
बड़े पैमाने पर किया जायेगा। तालाबों-पोखरों एवं बड़े जलाशयों में मछली पालन की योजना पर फोकस होगा। 6.83 लाख टन मत्स्य उत्पादन कर बिहार देश का चौथा राज्य हो गया है। राज्य में प्रतिव्यक्ति मत्स्य की उपलब्धता 9.60 किग्रा है। 2025 तक 30.10 करोड़ रुपये से शहरी-ग्रामीण क्षेत्रों में विपणन तंत्र विस्तारित किया जायेगा ।
⇒ अंडा का वार्षिक उत्पादन 10667 लाख प्रतिवर्ष से बढ़कर 30132. 15 लाख पर पहुंच गया है। 192 लाख पशुओं का टीकाकरण तथा 189 लाख पशुओं का ईयर टैगिंग किया।

किस साल कितना हुआ सड़कों पर खर्च ( राशि करोड़ में )

व्यय ⇒ 2001-02 , 5-06 , 10-11 , 15-16 , 19-20 , 20-21
मरम्मत मद ⇒ 126 , 283 , 632 , 1709 , 2294 , 3372
निर्माण मद ⇒ 33 , 260 , 4058 , 4403 , 1202 , 3202
कुल ⇒ 159 , 543 , 4691 , 6112 , 3496 , 6575
ग्रामीण पथ ⇒ 334 , 404 , 1204 , 7884 , 1591 , 3558

आठ साल में एससी और एसटी के नामांकन में हुई वृद्धि

⇒ बिहार में शिक्षा की अलख वंचित समाज के बच्चों के बीच भी जांगी है। खासतौर से अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों की पढ़ने तथा स्कूलों में दाखिले के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है। यह निश्चित तौर पर शिक्षा के क्षेत्र में घटती सामाजिक असमानता का संकेत है। सरकार द्वारा पेश आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट-2021-22 के मुताबिक 2012-13 से 2019-20 (8 साल) के दौरान प्राथमिक स्कूलों में अनुसूचित जाति के बच्चों के नामांकन में 33.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
⇒ रिपोर्ट के अनुसार, अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों का नामांकन 50.5 फीसदी बढ़ा है। इस दौरान अनुसूचित जाति व जनजाति के विद्यार्थियों के नामांकन के मामले में इस समाज के लड़के व लड़कियों के नामांकन में भी अब मामूली अंतर रह गया है। वहीं प्रारंभिक विद्यालयों में कुल नामांकन पर गौर करें तो यहां भी लड़कियों ( 102.39 लाख ) का, लड़कों (106.37 लाख) से थोड़ा ही कम है। इसे 2019-20 के कुल नामांकन 208.76 लाख के आंकड़ों में देखा जा सकता है।
⇒ रिपोर्ट की सलाह है कि इस लैंगिक अंतराल को घटाने के लिए और प्रयास करने की जरूरत है। वहीं प्राथमिक स्तर पर कुल नामांकन में करीब 15 लाख की कमी एक बड़ी समस्या की ओर इंगित करता है। आठ साल पूर्व जहां इस कक्षा में 154.51 लाख नामांकन था तो 2019-20 में यह 139.47 लाख तक ही रह गया है। CURRENT AFFAIRS SET BIHAR ECONOMIC SURVEY

माध्यमिक स्तर पर 66.7 फीसदी बेटियां छोड़ रहीं पढ़ाई

⇒ राज्य सरकार बच्चों को स्कूल में लाने तथा रोकने के लिए कई लाभकारी योजनाएं चला रही है, बावजूद इसके पिछले आठ साल के आंकड़े बच्चों की पढ़ाई छोड़ने को लेकर चिंतित करते हैं। आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक माध्यमिक स्तर पर 66.7 फीसदी बेटियों की छीजन दर ( पढ़ाई छोड़ने की दर ) है, जबकि लड़कों की 60.8 फीसदी है। संयुक्त रूप से यह 2019-20 में 63.5 फीसदी रही है। अर्थात इतनी बड़ी तादाद में राज्य के विद्यार्थी आगे की पढ़ाई छोड़ रहे हैं।
⇒ 2012-13 में यह संयुक्त रूप से 62.8 फीसदी थी। वैसे तुलनात्मक दृष्टि से देखा जाए तो 2012-13 के मुकाबले 2019-20 में प्राथमिक व मध्य विद्यालय के स्तर पर छीजन दर में 2% की गिरावट आई है। प्राथमिक स्तर पर इस दौरान 9 फीसदी जबकि उच्च प्राथमिक स्तर पर 7.9 प्रतिशत की गिरावट आई है। जबकि माध्यमिक स्तर पर इसमें 0.7 फीसदी की वृद्धि हो गई है। CURRENT AFFAIRS SET BIHAR ECONOMIC SURVEY

राज्य में पांच साल में बढ़े 13 विवि, शोध संस्थान एक भी नहीं

⇒ उच्च शिक्षा के क्षेत्र में पांच साल में राज्य में सभी प्रकार के विश्वविद्यालयों की संख्या में करीब 60 फीसदी का इजाफा हुआ है। यह जीईआर सुधारने का सराहनीय प्रयास है।
⇒ 2015-16 में जहां राज्य में कुल 22 विश्वविद्यालय थे वहीं 2019-20 में 35 विश्वविद्यालय हो गये। इनमें 6 निजी, 17 राजकीय सार्वजनिक, केंद्रीय विश्वविद्याल और 5 राष्ट्रीय महत्व के संस्थान शामिल हैं। हालांकि शोध संस्थानों की संख्या इस दौरान 15 ही रही हैं। वहीं अंगीभूत कॉलेज सिर्फ एक बढ़े हैं, जबकि संबद्ध महाविद्यालयों की संख्या इस दौरान 468 से 588 तक पहुंच गई है। शिक्षा प्रशिक्षण केंद्र, अभियंत्रण महाविद्यालय और पालिटेक्निक कॉलेज कुल 112 से बढ़कर 176 हो गए हैं। CURRENT AFFAIRS SET BIHAR ECONOMIC SURVEY

विभिन्न बजटों में किए गए वर्षवार व्यय

वर्षवार व्यय ( करोड़ में ) ⇒ प्रारंभिक ⇒ माध्यमिक ⇒ उच्च ⇒ योगफल

2016-17 ⇒ 13880 ⇒ 3677 ⇒ 2382 ⇒ 19939
2017-18 ⇒ 15638 ⇒ 4655 ⇒ 4092 ⇒ 24385
2018-19 ⇒ 19152 ⇒ 2216 ⇒ 2250 ⇒ 23618
2019-20 ⇒ 18747 ⇒ 4233 ⇒ 4711 ⇒ 28234
2020-21 ⇒ 6054 ⇒ 3256 ⇒ 3564 ⇒ 12959

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