Origin Of The Earth ( Geography ) – Internal Structure Of The Earth, पृथ्वी की उत्पति, पृथ्वी की आंतरिक संरचना, internal structure of the earth definition PDF Download.

पृथ्वी की उत्पति ( Origin of the earth )

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भूगोल (Geography)

(क) परिभाषा – भूगोल Geography का हिन्दी रूपान्तरण है।
Geography शब्द इरेटेस्थनिज ने दिया है। Geography दो शब्द Geo और Graphy से बना है। Geo का अर्थ पृथ्वी और Graphy. का अर्थ वर्णन करना होता है। अर्थात विज्ञान का वह शाखा जिसमें पृथ्वी का वर्णन किया जाता है उसे भूगोल कहते है। विश्व का पहला भूगोलवेता थियोफ्रास्टस है।

(ख) जनक – भूगोल के कई शाखाएं है. जिनके जनक निम्न है।
– भूगोल                          –           हिकेटियस
– गणितिय भूगोल            –           इरेटेस्थनिज
– मानव भूगोल                –           फ्रेडरिक रेटजेल
– आधूनिक भूगोल           –           Alexander वान हमबोल्ट
– क्षेत्रिय भूगोल                –           कार्ल रिटर

Origin Of The Earth ( पृथ्वी की उत्पति )

पृथ्वी की उत्पति

(1) भूमिका :- पृथ्वी एक मात्र ग्रह है, जहँ मानव के निश्चित प्रमाण है। पृथ्वी का आयु 46 अरब वर्ष है। इसके आयु का गणना युरेनियम डेटिंग पद्धति से किया जाता है। पृथ्वी कि आयु कि गणना यूनानी विद्वान कारते द बफन ने 1749ई ने किया था। पृथ्वी का दव्यमान 6x10kg. पृथ्वी का त्रिज्या 637: किलोमिटर पृथ्वी का धनत्व 5.52g धन सेमी० है! पृथ्वी का विषुवतीय व्यास 12756 km तथा धुतिय व्यास 12713 km है ! अतः विषुवतीय व्यास और ध्रुविय व्यास में अंतर 43 km है।

(2) पृथ्वी उत्पति के सिद्धांत – पृथ्वी के उत्पति पर विद्वानों में मतभेद । है । प्रमुख मत निम्न है !

(क) गैसीय सिद्धांत या वायवीय सिद्धांत – यह सिद्धांत जर्मनी के विज्ञान इमैनुअल काण्ट ने दिया है।
(ख) निहारिका सिद्धांत / नेबुला सिद्धांत – हाइड्रोजन गैसों के समूह से बने बादल को निहारिका कहते है । हाइड्रोजन को भविष्य का इंधन और आवारा तत्व कहते है। निहारिका सिद्धांत फ्रांस के गणितज्ञ लाप्लास ने दिया है।
(ग) ज्वारिय सिद्धांत – यह सिद्धांत जिन्स और जैफरिज ने दिया है। (घ) बीग-बैग सिद्धांत- यह सिद्धांत बगोनर और लेनेटरे ने दिया है। इन मतो में बिग-बैंग सिद्धात सर्वाधिक मान्य है।

Internal Structure Of The Earth ( पृथ्वी का आंतरिक संरचना )

पृथ्वी का आंतरिक संरचना

(1) भूमिका :- पृथ्वी के आंतरिक संरचना का जानकारी सर्वप्रथम रवेश ने दिया था। पृथ्वी को नीला ग्रह भी कहते है। पृथ्वी के अलग अलग स्तरों का संरचना भिन्न भिन्न है। यह भिन्नता तापमान में भिन्नता के कारण है। पृथ्वी के नीचे 32 मीटर जाने पर 1°सेल्सियस ताप बढ़ता है। तापमान में वृद्धि के कारण चट्टानों के धनत्व में परिवर्तन होता है। इसधनत्व के आधार पर ही पृथ्वी को निम्न भागो में विभाजित किया गया है।

(2) आंतरिक सरचना का प्रथम विचार –

(क) भू-पर्पटी(क्रस्ट) :- यह पृथ्वी का उपरी पतला ठोस परत है, यह चट्टानों और मृदा से बना है। महाद्विपो और महासागरों का रचना इसी पर हुआ है। पृथ्वी के कुल आयतन का 0.5 प्रतिशत आयतन भु-पर्पटी का है। क्रस्ट में सबसे अधिक ऑक्सीजन (47 प्रतिशत) , इसके अलावा सिलिकन (27.7 प्रतिशत) और ऐल्युमिनियम (8 प्रतिशत) पाया जाता है।
(ख) मेंटल – यह पृथ्वी का मध्यवर्ति भाग है। यह अर्द्धठोस अवस्था में है। इसका गहराई 2900 किलोमिटर है। पृथ्वी का सबसे अधिक आयतन इस भाग का है। इसका आयतन 83 प्रतिशत है। मेंटल और भू-पर्पटी के बीच एक पतला परत है। जिसका खोज मोहो नामक विद्वान ने किया था इसलिए इसे माहो असम्बद्धता भी कहते है।
(ग) क्रोड – यह पृथ्वी का आंतरिक भाग है। इसका गहराई 3400 किलोमिटर है। बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है। और आंतरिक क्रोड ठोस अवस्था में है क्योंकि ताप के तुलना में दाव में अधिक वृद्धि होता है। इसका आयतन पृथ्वी के कुल आयतन का 16 प्रतिशत है।

(3) आंतरिक सरचना का द्वितिय विचार –

(क) सियाल(Si+Al) – पृथ्वी का उपरी परत है। जो सिलिका और ऐल्यूमिनियम से बना है। महाद्विप और महासागर इस पर निर्मित है।
(ख) सिमा (Si+Mg)- यह पृथ्वी का मध्यवर्ति भाग है। यह सिलिका और मैग्नेशियम से बना है। ज्वालामुखी में निकलने वाला लावा सिमा से निकलता है ! ज्वालामुखी को पृथ्वी का सेफ्टी वॉल्व कहते है।
(ग) निफे (Ni+Fe)- यह पृथ्वी का सबसे आंतरिक भाग है। यह निकेल __ और लोहा से बना है। पृथ्वी में गुरुत्वाकर्षण बल निफे के कारण है। :- ग्राण्ट ने क्रस्ट, मेंटल और क्रोड नाम दिया है।

Origin Of The Earth

 

 

 

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